Virat Nagar / Bairath Rajasthan

Virat Nagar / Bairath Rajasthan: 
              विराट नगर अथवा बैराठ जयपुर से 66 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में स्थित है। यह अरावली पर्वतमाला के बीच एक गोलाकार घाटी में स्थित है। ये पहाड़ियाँ ताम्र धातु की उपस्थिति के लिए प्रसिद्द है। विराट नगर की घाटी लगभग ढाई मील व्यास में वृत्ताकार फैली हुई है। इसका कुल घेरा आठ मील है। यहाँ दो नाले जल लेकर पहुँचते हैं। एक का नाम बैराठ नाला है तथा दूसरा बंदराल नाला कहलाता है। वर्तमान विराट नगर किसी प्राचीन नगर के खंडहरों पर बने एक टीले पर बसा हुआ है। यह टीला लगभग डेढ़ किलोमीटर लम्बा तथा पों किलोमीटर चौड़ा है। प्राचीन नगर कब धवस्त हुआ इसके बारे में कहा नहीं जा सकता किन्तु वर्तमान नगरी सोलहवीं शताब्दी ईस्वी में बसी। उस समय यहाँ की खानों से ताम्बा निकाला जाता था। महाभारत कालीन बैराठ आज के बैराठ के नीचे दबा पड़ा है जो मत्स्य राज्य की राजधानी था।
विराट नगर में पाण्डवों ने अपने अज्ञातवास का अंतिम वर्ष व्यतीत किया था। इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) यहाँ से मात्र 169 किलोमीटर दूर है। यहाँ एक भीम डूंगरी है जिस पर भीम रहता था। यहीं पर कीचक का वध किया गया था। बाणगंगा को अर्जुन ने अपने बाण से प्रस्फुटित किया था। यहाँ पर कौरवों के पदचिन्ह भी अंकित बताये जाते हैं। कौरव यहाँ पर राजा विराट की गायें चुरा ले जाने के लिए आये थे।
इस क्षेत्र से पुरातात्विक सामग्री का विशाल भंडार प्राप्त हुआ है, जिनमें पाषाण कालीन उपकरण एवं औजार, आदिम कालीन शैल चित्र, शंख लिपि के चित्र, ईसा से तीसरी शताब्दी पूर्व से लेकर पहली शताब्दी तक के बौद्ध सभ्यता के अवशेष, गोल मंदिर तथा मठ, अशोक का स्तम्भ आदि मिले हैं।
विराट नगर के मध्य में अकबर ने एक टकसाल खोली थी। इस टकसाल में अकबर, जहांगीर तथा शाहजहां  के काल में ताम्बे के सिक्के ढाले जाते थे। यहाँ एक मुग़ल गार्डन, ईदगाह तथा कुछ अन्य मुग़ल इमारतें बनाई गयी थीं जिनमे मुग़ल गार्डन का विशाल दरवाजा आज भी दर्शनीय है। विराट नगर के चारों ओर फैली हुई पहाड़ियों में अनेक गुफाएं स्थित हैं जिनमे बिजार अथवा बीजक की पहाड़ी भीम की डूंगरी तथा गणेश गिरी की गुफायें  स्थित है।

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